Section 170 of IPC in Hindi

नेमपाल सिंह के द्वारा

Through this post, I have described the legal provision of section 170 of IPC both in English and Hindi languages.



क्या कहता है भारतीय कानून 
     सर्वप्रथम यह जानना बेहद जरुरी है कि यदि कोई व्यक्ति सरकारी कर्मचारी के कामों में बाधा पहुँचाता है तो भारतीय कानून इस सन्दर्भ में क्या कहता है। इस बारे में जानने के लिए सबसे पहले इस धारा के अंतर्गत दी गयी परिभाषा को जानना जरुरी है। इस इमेज के माध्यम से आप इस धारा के अंतर्गत अंग्रेजी परिभाषा को पढ़ सकते हैं।

IN HINDI

धारा: 170:  यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी विशिष्ट पद को सरकारी कर्मचारी होने के नाते अपने आपको उस विशिष्ट पद पर आसीन बताएगा या यह दिखावा करेगा कि वह उस विशिष्ट पद पर कार्यरत है जबकि वह ऐसा पद धारण नहीं करता है या ऐसा पद धारण करने वाले किसी अन्य व्यक्ति का कूट- प्रतिरूपण का उपयोग करते हुए या पदाभास से कोई कार्य करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, तो उसे उसके खिलाफ इस धारा के अंतर्गत दोष साबित होने पर दो साल तक की सजा या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना हो सकता है या फिर सजा व् जुर्माना दोनों के द्वारा दण्डित किया जा सकता है I

                             सरल शब्दों में सरल शब्दों में ये कहा जा सकता है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी किसी एक पद पर कार्यरत है और वो किसी मकसद से अपने आप को किसी विशिष्ट पद पर कार्यरत बताता है जबकि उस विशिष्ट पद का उस कर्मचारी के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है और किसी मकसद से या किसी और प्रकार की मंशा से वो अपने आपको उस विशिष्ट पद पर बता कर कोई भी कार्य करता है या करने की कोशिश करता है जो कार्य  उस विशिष्ट पद की एवज में वो कर सकता है और या वो किसी ऐसे एक विशिष्ट पद वाले अधिकारी के रूप जैसे किसी अधिकारी का राम नाम है और वह किसी विशिष्ट पद पर आसीन है और उस विशिष्ट पद पर वो जाना जाता है और कोई दूसरा कर्मचारी जो निम्न पद से सम्बन्ध रखता है और अपने आपको राम बता कर कोई कार्य करता है या करने की कोशिश करता है अर्थात अपने आप को राम के रूप में  दिखता है या प्रदर्शित करता है और कोई कार्य करता है या करने की कोशिश करता है तो उस प्रकार का कर्मचारी इस धरा के अंतर्गत दोषी माना जायेगा

कानून के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण बातें 

       भारतीय कानून के विषय में यह जानना बहुत अधिक आवश्यक है जब कभी भी कोई व्यक्ति किसी भी किस्म का अपराध करता है तो वह अपने बचाव में  यह दलील नहीं दे सकता कि उसे कानून के विषय में जानकारी नहीं थी क्योंकि भारतीय कानून के अंतर्गत तथ्यों को नज़रअंदाज करना मान्य है लेकिन कानून को नज़र अंदाज़ करना कानूनन रूप से मान्य नहीं है। किसी भी तरह से कानून को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। कानून के अंतर्गत यह धारणा हर एक कानून के सन्दर्भ में मानी जा सकती है। इसलिए एक व्यक्ति को कानून की जानकारी होना बहुत अधिक आवश्यक है।  क्योंकि यदि कानून की जानकारी ना होने पर व्यक्ति द्वारा कानून के उल्लंघन की सम्भावनाएं ज्यादा होती है। 
         

For more information watch our YouTube video: Personating a public servant. (Hindi) click here




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