Rights During Arrest. गिरफ़्तारी के समय क्या है अधिकार ?

नेमपाल सिंह के द्वारा 


गिरफ़्तारी के समय क्या है अधिकार? (Rights during Arrest)

    जब कभी किसी अपराधी को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे प्रताड़ित नहीं किया जा सकता और यदि कोई पुलिस कर्मचारी अपराधी को प्रताड़ित करता है तो इस सन्दर्भ में उस पुलिस कर्मचारी के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही की जा सकती है तथा मजिस्ट्रेट को शिकायत की जानी चाहिए और मेडिकल जाँच के लिए आदेश प्राप्त करने चाहिए I यदि कोई महिला को गिरफ्तार किया जाता है तो और यदि उसके साथ किसी किस्म का यौनाचार किया जाता है तो उसकी शिकायत उस महिला को मजिस्ट्रेट को करनी चाहिए I किसी भी व्यक्ति को नाजायज रूप से हिरासत में पुलिस के द्वारा नहीं रखा जा सकता है I कानूनन रूप से गिरफ़्तारी के बाद ही किसी भी व्यक्ति को हिरासत में रखा जा सकता है I गिरफ़्तारी के 24 घंटे के अंदर - अंदर अपराधी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया कानूनन रूप से अनिवार्य है I गिरफ़्तारी के बाद यदि रिमांड वांछित होता है तो कोर्ट द्वारा रिमांड के लिए मंजूरी दी जा सकती है I इस स्थिति में यह जानना बहुत जरुरी है कि रिमांड के दौरान पुलिस नाजायज रूप से अपराधी के साथ मार पीट नहीं कर सकती है I यदि किसी किस्म की नाजायज व् गैरकानूनी तरीके से अपराधी के साथ मार पीट की जाती है तो इस सन्दर्भ में मजिस्ट्रेट को शिकायत की जानी चाहिए और यहाँ यह भी बताना जरुरी है कि पुलिस हिरासत के दौरान पुलिस के लिए ये आवश्यक है कि पुलिस अपराधी की डाक्टरी जाँच कराए और यदि पुलिस ऐसा नहीं करती है तो इस सन्दर्भ में आदेश प्राप्त किये जा सकते हैं कि पुलिस कोर्ट में अपराधी को पेश करने से पहले व् रिमांड के लिए ले जाते वक्त अपराधी की डाक्टरी जाँच कराए और उसके बाद ही थाने में ले जाए I  यदि किसी व्यक्ति को पुलिस द्वारा गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा जाता है तो इस सन्दर्भ में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है और यदि पुलिस के द्वारा उस व्यक्ति को कानूनन रूप से गिरफ्तार नहीं किया जाता है तो पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार  कानूनन कार्यवाही हो सकती है I गिरफ़्तारी के समय गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को उसके द्वारा किये गए अपराध के सन्दर्भ में जानकारी देना आवश्यक हैगिरफ़्तारी के समय अपराधी अपने वकील से सलाह ले सकता है ये उसका अधिकार है व् अपने किसी भी परिवार के व्यक्ति को या फिर मित्र को अपनी गिरफ़्तारी के बारे में सूचित कर सकता हैयदि किसी व्यक्ति को किसी झूठे मुकदमे में फंसाया जाता है हो वह व्यक्ति स्थानीय सत्र न्यायालय से या फिर उच्च न्यायालय से गिरफ़्तारी से पहले अग्रिम जमानत ले सकता है I न्यायालय को यदि लगता है कि अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए तो आदेश दे दिया जाता है जिसके बाद अपराधी को न्यायालय की शर्तों के अनुसार पुलिस द्वारा की जा रही जाँच में शामिल होना होता है व् बाद में रेगुलर (सामान्य) जमानत करानी होती है I जिस अपराध के सन्दर्भ में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और यदि वह अपराध एक जमानती अपराध है तो पुलिस की यह जिम्मेदारी है कि वह उस व्यक्ति को इस विषय में जानकारी दे कि उसे एक जमानती धारा के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया है और वह अपनी जमानत थाने में या फिर कोर्ट के माध्यम से करा सकता है और जमानत पर रिहा हो सकता है I



गिरफ़्तारी के समय महिलाओं के अधिकार?

    यदि किसी महिला को गिरफ्तार किया जाना है तो पुलिस के लिए यह आवश्यक है कि वो महिला को गिरफ़्तारी का कारण बताए I गिरफ़्तारी के समय महिला वकील की सलाह ले सकती है I गिरफ़्तारी के समय महिला अपने वकील को बुला सकती है I यदि वह एक वकील से कानूनी सलाह लेने में सक्षम नहीं है तो वह मुफ्त क़ानूनी सलाह की भी मांग कर सकती है I जिस भी महिला को गिरफ्तार किया जाना है उसे सिर्फ महिला पुलिस कर्मचारी के द्वारा ही हिरासत में लिया जा सकता है I जब कभी महिला को पूछ ताछ के लिए थाने के अलावा किसी अन्य स्थान पर बुलाया जाता है तो वह वहां आने के लिए कानूनन रूप से मना कर सकती है यहाँ तक कि वह यदि उस परिस्थिति में कुछ असामान्य समझे यानि कि यदि महिला को शाम के 6 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच में थाने में बुलाया जाता है वह थाने में जाने से मना कर सकती है और वह पुलिस को पूछ ताछ के लिए अपने घर पर बुला सकती है और अपने परिवार के सदस्यों के सामने ही वह पुलिस को पूछ ताछ की इजाजत दे सकती है I गिरफ़्तारी के बाद महिला को सिर्फ महिलाओ के लिए बने कमरे में ही हिरासत में रखा जा सकता है I गिरफ़्तारी के 24 घंटे के अंदर- अंदर महिला को इलाका मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है I अगर पुलिस द्वारा रिमांड वांछित होता है तो पुलिस अग्रिम कस्टडी के लिए दोबारा महिला को थाने में ले जा सकती है I थाने में ले जाते वक्त व् बाद में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से पहले मेडिकल कराना पुलिस की एक जिम्मेदारी है यदि पुलिस ऐसा नहीं करती है तो इस सन्दर्भ में आदेश प्राप्त किये जा सकते हैं कि पुलिस कोर्ट में महिला अपराधी को पेश करने से पहले व् रिमांड के लिए ले जाते वक्त अपराधी की डाक्टरी जाँच कराए और उसके बाद ही थाने में ले जाए I  ज्ञात रहे कि मेडिकल की स्थिति में सिर्फ महिला डॉक्टर के द्वारा ही मेडिकल किया जाना चाहिए I इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि पुलिस के लिए अपराधी महिला को मेडिकल करा कर ही मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना चाहिए और अगर रिमांड के लिए मंजूरी मजिस्ट्रेट के द्वारा दी जाती है तो मेडिकल करा कर ही वापिस थाने में ले जाना आवश्यक होता है I गिरफ़्तारी के समय महिला अपराधी अपने साथ किसी भी अपने रिस्तेदार या मित्र को बुला सकती है I गिरफ़्तारी के बाद महिला के साथ किसी भी किस्म की जोर जबरदस्ती या अमानवीय व्यहार नहीं किया जा सकता है I यदि किसी पुलिस कर्मचारी के द्वारा ऐसा किया जाता है तो इसकी शिकायत मजिस्ट्रेट को की जानी चाहिए I यदि किसी भी जमानती घटना के सन्दर्भ में गिरफ़्तारी हुई है तो पुलिस का ये कर्तव्य है कि वो इस सन्दर्भ में महिला को जानकारी दे और बताये कि उसकी जमानत थाने में हो सकती है I








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