आधिकारिक और गैरआधिकारिक दस्तावेज । Official and unofficial documents
नेमपाल सिंह के द्वारा
आधिकारिक और गैरआधिकारिक दस्तावेज क्या हैं
आम तौर पर हम अपने दैनिक जीवन में बहुत सारे दस्तावेजों को देखते हैं। कुछ दस्तावेज ऐसे होते हैं जो दिखते तो आधारिक दस्तावेजों जैसे ही हैं लेकिन वो दस्तावेज आधिकारिक दस्तावेज नहीं होते हैं और वहीँ कुछ दस्तावेज ऐसे भी होते हैं जो गैर आधिकारिक होते हुए भी आधिकारिक दस्तावेज जैसे ही लगते हैं। तो यहाँ सवाल यह उठता है कि किस प्रकार से एक आधारिक और गैरआधारिक दस्तावेज को पहचाना जाए। आपकी जानकारी के लिए यह बताना भी आवश्यक है की आधिकारिक (official) वह दस्तावेज होते हैं जो कि एक प्रमाणित दस्तावेज कहे जा सकते हैं और वहीँ गैरआधिकारिक दस्तावेज वह दस्तावेज होते हैं जिनकी सरकारी तौर पर कोई मान्यता नहीं मानी जा सकती है।
आधिकारिक (Official) दस्तावेज
आधिकारिक दस्तावेज उस किस्म के दस्तावेज होते हैं जो कि किसी भी सरकारी काम में उपयोग में लाये जा सकते हैं। आधिकारिक दस्तावेज आम तौर पर सत्यापित होते हैं और उन पर मोहर लगी होती है जैसे किसी भी प्रकार का प्रमाण पत्र तभी एक ऑफिसियल या कहा जाए तो आधिकारिक दस्तावेज कहलाएगा जब उस पर जारीकर्ता कार्यालय की मोहर लगी हो और साथ में जारीकर्ता अधिकारी के हस्ताक्षर हों। लेकिन कई बार प्रमाण पत्र पर मोहर नहीं होती है लेकिन असल हस्ताक्षर होते हैं तो भी वह प्रमाण पत्र एक आधिकारिक दस्तावेज माना जा सकता है। जब कभी किसी किस्म का हलफनामा (Affidavit) कोर्ट के माध्यम से बनवाया जाता है और यदि वह हलफनामा (Affidavit) नोटरी के द्वारा सत्यापित ना हो तो उस हलफनामे का कोई भी महत्व नहीं माना जा सकता है अर्थात उस हलफनामे का कोई भी आधिकारिक रूप से महत्व नहीं होता है।
आधुनिक समय में अब यह जानना भी आवश्यक है कि इंटरनेट के बढ़ते चलन के कारण अब काफी किस्म के दस्तावेज ऑनलाइन प्राप्त किए जा सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि जो दस्तावेज ऑनलाइन प्राप्त किये जाते हैं उनका आधिकारिक तौर पर क्या महत्व है। क्या ऑनलाइन दस्तावेजों को भी आधिकारिक दस्तावेज माना जा सकता है ? इस प्रश्न के उत्तर में यह बताना अत्यंत आवश्यक है कि जो भी दस्तावेज ऑनलाइन प्राप्त किया जाता है वह यदि कोई सरकारी दस्तावेज है तो वह एक आधिकारिक दस्तावेज माना जाएगा क्योंकि वह दस्तावेज सरकारी विभाग के द्वारा रिकॉर्ड के आधार पर जारी किया जाता है और सरकारी वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। जैसे जन्म व् मृत्यु प्रमाण पत्र ऑनलाइन सरकारी वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं इसी कड़ी में हम आधार कार्ड को भी मान सकते है। हर एक ऑनलाइन दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर होता है जो कि डिजिटल हस्ताक्षर के रूप में जाना जाता है। अब एक और सवाल भी उठता है कि सरकारी वेबसाइट पर कई प्रकार के ऐसे दस्तावेज भी होते हैं जो PDF के या फिर JPEG फाइल के रूप में होते है तो अब सवाल यह है कि क्या कोई ऐसी जानकारी जो PDF या फिर JPEG फाइल के रूप में सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होती है और जिसे बड़ी ही आसानी के साथ डाउनलोड करके प्राप्त किया जा सकता है तो क्या वह दस्तावेज भी एक आधिकारिक दस्तावेज ही माने जायेंगे। इस सवाल के जवाब में कहा जा सकता है की जो भी जानकारी किसी सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होती है वह एक आधिकारिक जानकारी या सुचना के रूप में मानी जा सकती है जो कि वेबसाइट पर आधिकारिक रूप से जारी की जाती है जिन्हे कई बार हम एक आधिकारिक सरकारी सूचना के रूप में भी देखते हैं जैसे किसी भी विभाग के द्वारा किसी किस्म का पब्लिक नोटिस विभाग की अपनी सरकारी वेबसाइट पर जारी किया जाता है और उस प्रकार की सूचना को प्रमाणिकता की आवश्यकता नहीं होती है और उस प्रकार की सुचना को आधिकारिक सूचना माना जा सकता है। क्योंकि उस सूचना का सारा रिकॉर्ड या डाटा वेबसाइट पर उपलब्ध होता है और जिसे कभी भी देखा जा सकता है और उस रिकॉर्ड की पुष्टि भी की जा सकती है।
गैरआधिकारिक (Unofficial or Non-official) दस्तावेज
अब अगर हम गैरआधिकारिक (Unofficial or Non-official) दस्तावेजों की बात करें तो हर वो दस्तावेज जो सत्यापित ना हो और जिसपर जारीकर्ता के असल हस्ताक्षर ना हों तो उन दस्तावेजों को गैरआधिकारिक दस्तावेज माना जाता है। यदि जारीकर्ता कार्यालय द्वारा मोहर लगा दी जाती है लेकिन उस दस्तावेज पर असल हस्ताक्षर जारीकर्ता अधिकारी के द्वारा नहीं किये जाते हैं तो उस दस्तावेज को भी आधिकारिक दस्तावेज नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा यदि हम ऑनलाइन दस्तावेजों की बात करें तो जो दस्तावेज किसी गैरसरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होते हैं उन्हें भी आधिकारिक दस्तावेज नहीं माना जा सकता। किसी किस्म का हलफनामा जो कोर्ट परिसर में बनवाया जाता है और यदि वह दस्तावेज नोटरी पब्लिक के द्वारा सत्यापित नहीं है तो उस हलफनामे का कानूनन रूप से कोई महत्व नहीं माना जा सकता है। किसी भी प्रकार की PDF या फिर JPEG फाइल, सूचना या फिर दस्तावेज यदि किसी गैरसरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध है तो भी उस प्रकार की सूचना को या फिर दस्तावेजों को आधिकारिक सूचना या दस्तावेज नहीं माना जा सकता है।
अब अगर हम गैरआधिकारिक (Unofficial or Non-official) दस्तावेजों की बात करें तो हर वो दस्तावेज जो सत्यापित ना हो और जिसपर जारीकर्ता के असल हस्ताक्षर ना हों तो उन दस्तावेजों को गैरआधिकारिक दस्तावेज माना जाता है। यदि जारीकर्ता कार्यालय द्वारा मोहर लगा दी जाती है लेकिन उस दस्तावेज पर असल हस्ताक्षर जारीकर्ता अधिकारी के द्वारा नहीं किये जाते हैं तो उस दस्तावेज को भी आधिकारिक दस्तावेज नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा यदि हम ऑनलाइन दस्तावेजों की बात करें तो जो दस्तावेज किसी गैरसरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होते हैं उन्हें भी आधिकारिक दस्तावेज नहीं माना जा सकता। किसी किस्म का हलफनामा जो कोर्ट परिसर में बनवाया जाता है और यदि वह दस्तावेज नोटरी पब्लिक के द्वारा सत्यापित नहीं है तो उस हलफनामे का कानूनन रूप से कोई महत्व नहीं माना जा सकता है। किसी भी प्रकार की PDF या फिर JPEG फाइल, सूचना या फिर दस्तावेज यदि किसी गैरसरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध है तो भी उस प्रकार की सूचना को या फिर दस्तावेजों को आधिकारिक सूचना या दस्तावेज नहीं माना जा सकता है।
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