धारा 204 भारतीय दण्ड संहिता : सबूतों को नष्ट करने पर होगी दो साल तक की सजा । (Hindi) Destruction of [document or electronic record]


नेमपाल सिंह के द्वारा 



सबूतों को नष्ट करने पर होगी दो साल तक की सजा 


        सबूत किसी केस में बहुत एहम भूमिका रखते हैं। बिना सबूतों के किसी भी केस को साबित नहीं किया जा सकता। किसी भी मामले की परिस्थितियाँ और साक्ष्य अलग-अलग होते हैं और मामले की परिस्थितियों और तथ्यों के अनुसार ही उस मामले में सबूत बनते हैं। जैसे-जैसे समाज में अपराध बढ़ता जा रहा है तो समाज में अपराध भी बढ़ता जा रहा है और आधुनिकता के बढ़ने के साथ- साथ साइबर क्राइम जैसे मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं।  अब इस बात को जानना बहुत अधिक आवश्यक है कि किसी भी मामले से जुड़े हुए सबूतों को यदि कोई नष्ट कर दे तो जाहिर तौर पर उस केस का या मामले का आधार ही समाप्त हो जाता है।  तो अब यह जानना बहुत अधिक आवश्यक है कि हमारा भारतीय कानून इस विषय में क्या कहता है। तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आज कानून की उस धारा के बारे में जानेंगे जिसके अंतर्गत उस व्यक्ति को सजा दी जाती है जो सबूतों को नष्ट करता है। 


क्या है भारतीय कानून 
       भारतीय कानून भारतीय दण्ड संहिता की धारा 204 के अंतर्गत इस तरह के अपराध को परिभाषित किया गया है। इस अपराध को जानने के लिए इस धारा के अंतर्गत दी गयी परिभाषा को जानना बहुत अधिक आवश्यक है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 204 के अंतर्गत परिभाषा :

हिंदी में परिभाष  : धारा 204 भारतीय दण्ड संहिता : जो कोई व्यक्ति ऐसे [दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख] को छिपायेगा या नष्ट करेगा जिसे किसी न्यायालय में या ऐसी कार्यवाही में, जो किसी लोक सेवक के समक्ष उसकी उस लोक सेवक होने की हैसियत में उस तरह की , की गयी कार्यवाही में साक्ष्यों के रूप में या सरल शब्दों में कहा जाए तो सबूतों के रूप में वह व्यक्ति कानूनन रूप से आबद्ध होने की सम्भावना के चलते कि वो उन साक्ष्यों और सबूतों को कोर्ट में या लोक सेवक के समक्ष चल रही कार्यवाही में पेश करे और फिर उस व्यक्ति को न्यायालय के द्वारा समन या निर्देशित करने के बाद भी वह  व्यक्ति ऐसे सम्पूर्ण [दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख] को, या उसके किसी भाग को मिटाएगा, या ऐसा बनाएगा जो पढ़ा ना जा सके जिससे की वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख] न्यायालय में या लोक सेवक के समक्ष चल रही कार्यवाही में साक्ष्य के या कहा जाए कि सबूत के रूप में पेश ना किया जा सके। तो उस व्यक्ति को उसके खिलाफ इस धारा के अंतर्गत दोष सिद्ध होने पर दो साल तक की सजा या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जायेगा या सजा व् जुर्माना दोनों के द्वारा दण्डित किया जा सकता है। 

इस धारा के अंतर्गत आने वाला अपराध एक असंज्ञेय अपराध है। संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों के विषय में जानने के लिए (यहाँ क्लिक करें, click here) यह अपराध एक जमानती अपराध है। अर्थात इस धारा के अंतर्गत अपराधी को आसानी से जमानत मिल सकती है। 

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