What is Habeas Corpus? हैबियस कॉरपस क्या है?
नेमपाल सिंह के द्वारा
हैबियस कॉरपस (Habeas Corpus)क्या है?
आम तौर पर हम सुनते हैं कि पुलिस या किसी प्राइवेट व्यक्ति के द्वारा नाजायज रूप से गैरकानूनी तरीके से किसी भी व्यक्ति को बंधक बना लिया जाता है। देखने में यह भी आता है कि पुलिस के द्वारा बिना किसी मुकदमा दर्ज किए नाजायज रूप से किसी व्यक्ति को गैरकानूनी तरीके से बंधक बना लिया जाता है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जिस व्यक्ति का किसी वारदात से कोई लेना- देना ना होते हुए भी उस व्यक्ति को पुलिस के द्वारा बंधक बना लिया जाता है या फिर गिरफ्त में ले लिया जाता है और उस व्यक्ति की कानूनन रूप से गिरफ़्तारी दर्ज नहीं की जाती है। यदि किसी प्राइवेट व्यक्ति के द्वारा किसी व्यक्ति को बंधक बनाए जाने की बात की जाए तो यह समझा जा सकता है कि यदि कोई प्राइवेट व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को चाहे वह महिला हो या फिर पुरुष, यदि किसी को उसकी इच्छा के बिना बंदी बना लेता है जो कि गैरकानूनी तरीके से किया जाता है तो उस स्थिति में कानूनन रूप से कोर्ट के माध्यम से बंधक व्यक्ति को छुड़ाया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि वह कौन सा क़ानूनी मार्ग है जिसके द्वारा एक बंधक व्यक्ति छुट सकता है। इसी प्रक्रिया को जानने के लिए हैबियस कॉरपस (Habeas Corpus) को समझना जरुरी है। हैबियस कॉरपस (Habeas Corpus) एक रिट याचिका (पेटिशन) होती है। सरल शब्दों में कहा जाए तो यह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया एक आदेश होता है, एक लिखित आदेश जिसे रिट कहा जाता है। यानि कि रिट एक हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया आदेश होता है। हैबियस कॉरपस (Habeas Corpus) रिट पेटिशन उस स्थिति में दायर की जाती है जब कभी जैसा की ऊपर बताया गया है पुलिस के द्वारा या फिर किसी प्राइवेट व्यक्ति के द्वारा किसी भी महिला या फिर पुरुष को नाजायज रूप से गैरकानूनी तरीके से बंधक बना लिया जाता है। जैसा कि हम जानते हैं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21(Article 21) के अंतर्गत भारत के हर एक नागरिक को स्वंतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। जब कभी भी किसी भी नागरिक को पुलिस के द्वारा या फिर किसी प्राइवेट व्यक्ति के द्वारा नाजायज रूप से गैरकानूनी तरीके से बंधक बना लिया जाता है या फिर गिरफ्त में ले लिया जाता है तो वह पीड़ित व्यक्ति अपने वकील के माध्यम से या फिर किसी भी रिस्तेदार के माध्यम से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 (Article 226) के अंतर्गत हाई कोर्ट में और अनुच्छेद 32 (Article 32) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉरपस (Habeas Corpus) रिट पेटिशन दायर कर सकता है।
किसके द्वारा दायर की जा सकती है हैबियस कॉरपस(Habeas Corpus) रिट पेटिशन?
हैबियस कॉरपस रिट पेटिशन पीड़ित व्यक्ति अपने वकील के माध्यम से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 (Article 226) के अंतर्गत हाई कोर्ट में और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 (Article 32) के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील के माध्यम से दायर कर सकता है। इसी के साथ साथ पीड़ित व्यक्ति यदि स्वयं अपने वकील के माध्यम से हैबियस कॉरपस (Habeas Corpus) रिट पेटिशन हाई कोर्ट में या सुप्रीम कोर्ट में दायर नहीं कर पाता है तो वह पीड़ित व्यक्ति अपने किसी रिस्तेदार के माध्यम से वकील के द्वारा दायर कर सकता है।
क्या आदेश दिए जा सकते हैं कोर्ट के द्वारा
हैबियस कॉरपस (Habeas Corpus) रिट पेटिशन के अंतर्गत हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जिस व्यक्ति को पुलिस के या फिर प्राइवेट व्यक्ति के द्वारा बंधक बनाया गया है या फिर गिरफ्त में लिया गया है उस पीड़ित व्यक्ति को कोर्ट में पेश करने के या फिर छोड़े जाने के आदेश दिए जा सकते हैं। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो कहा जा सकता है कि यदि किसी व्यक्ति को पुलिस के द्वारा या फिर किसी प्राइवेट व्यक्ति के द्वारा बंधक बना लिया जाता है या फिर गिरफ्तार लिया जाता है तो वह पीड़ित व्यक्ति हैबियस कॉरपस (Habeas Corpus) रिट पेटिशन का लाभ उठा सकता है। इसके अलावा ज्ञात रहे कि जब कभी कोर्ट को यह जरुरी लगता है कि मौका पर किसी सरकारी टीम यानि कि वारंट ऑफिसर को भेजा जाना जरुरी है तो कोर्ट के द्वारा वारंट ऑफिसर को भेजा जाता है और वह ऑफिसर या टीम उस बंधक व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने के कारण के विषय में तहकीकात की जाती है और यदि किसी भी व्यक्ति की गलती पाए जाने पर उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सकता है या फिर विभागीय कार्यवाही की जा सकती है।
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