जनहित याचिका क्या है ? (Hindi) What is PIL?


नेमपाल सिंह के द्वारा 




जनहित याचिका (PIL) क्या है : 


        हमारे देश में संविधान के अंतर्गत हमें बहुत से अधिकार प्राप्त हैं जैसे स्वंतंत्रता का अधिकार, अभिव्यक्ति का अधिकार, शिक्षा का अधिकार इत्यादि। अधिकारों के साथ साथ ही कुछ कर्तव्य भी हैं जो हर एक नागरिक को अपने देश के प्रति निभाना संवैधानिक रूप से जरुरी है। लेकिन यदि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का कभी कहीं भी, कभी भी हनन होता है तो उसके लिए माननीय उच्च न्यायालय में या फिर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है। जब कभी किसी भी क्षेत्र के नागरिकों के अधिकारों के सम्बन्ध में किसी प्रकार से उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है तो उस स्थिति में जनहित याचिका (PIL) दायर की जा सकती है। आमतौर पर जनहित याचिका उस क्षेत्र के उच्च न्यायालय में दायर की जाती है जिस क्षेत्र के नागरिकों के अधिकारों का हनन होता है जो कि अनुच्छेद 226 भारतीय संविधान के अंतर्गत उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है। किसी ख़ास मामले में जनहित याचिका सर्वोच्च न्यायालय में भी दायर की जा सकती है जो कि अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।

जनहित याचिका को जनहित में कब माना जाता है :

        किसी भी प्रकार के संवैधानिक अधिकारों से सम्बंधित जनहित याचिका एक व्यापक रूप से जनहित याचिका को जनहित याचिका के रूप में माना जाए या नहीं यह न्यायालय पर निर्भर करता है। जनहित याचिका के लिए यह बहुत अधिक आवश्यक है कि वह याचिका निजी ना होकर व्यापक रूप से नागरिकों के अधिकारों के हनन से सम्बंधित हो। जनहित याचिका के लिए यह भी आवश्यक है कि याचिका कर्ता न्यायालय में इस बात को बताए कि कैसे आम लोगों का हित प्रभावित हो रहा है। यदि किसी मामले में जिसके सन्दर्भ में जनहित याचिका को दायर किया जाता है यदि वह मामला निजी हितों से सम्बंधित है तो उसे जनहित याचिका नहीं माना जा सकता है। ऐसे मामले में दायर की गयी याचिका को पर्सनल इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि दायर की गयी याचिका एक जनहित याचिका है या नहीं इस बात का निर्णय न्यायालय द्वारा किया जाता है। 

कहाँ और कैसे दायर की जा सकती है जनहित याचिका :

          जैसा कि ऊपर बताया गया है कि जनहित याचिका यदि व्यापक रूप से जनता के हितों से सम्बंधित है तो उस याचिका को जनहित याचिका माना जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि जनहित याचिका को कहाँ और किस तरीके से दायर किया जा सकता है ? जैसा कि ऊपर बताया गया है कि जनहित याचिका को अनुच्छेद 226 भारतीय संविधान के अंतर्गत उच्च न्यायालय में दायर किया जा सकता है और यदि मामला काफी गंभीर है और व्यापक रूप से जनता के संवैधानिक अधिकारों के हनन से सम्बंधित अथवा जनहित से जुड़ा हुआ है तो अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान के अंतर्गत जनहित याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।  जनहित याचिका को दायर करते समय सम्बंधित दस्तावेजों के साथ याचिका को दायर किया जाना चाहिए।  यदि मामले के सम्बन्ध में जानकारी सूचना  के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत ली गयी है या फिर किसी अन्य प्रकार से जानकारी या दस्तावेजों को इक्क्ठा किया गया है तो याचिका के साथ सम्बंधित सभी दस्तावेजों को दायर किया जाना चाहिए। 

पत्र के द्वारा भी दायर की जा सकती है जनहित याचिका :

            यहाँ यह बताना अत्यंत आवश्यक है कि काफी मामलों में जनहित याचिका पत्र के माध्यम से भी दायर की जाती है। किसी भी मामले में जो कि व्यापक रूप से जनहित से जुड़ा होता है तो याचिकाकर्ता के द्वारा एक पत्र उच्च न्यायालय या फिर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के नाम पर लिखा जा सकता है और साथ में उन सभी दस्तावेजों को पत्र के साथ भेजा जाना आवश्यक होता है जो कि मामले के सन्दर्भ में जरुरी होता है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वह सभी दस्तावेज पत्र के साथ भेजे जाने चाहिए जो कि मामले के सन्दर्भ में इक्क्ठा किए गए हों। पत्र को अंग्रेजी या हिंदी भाषाओँ में लिखा जा सकता है।  पत्र को साधारण डाक से या फिर रजिस्टर्ड डाक के द्वारा भेजा जा सकता है। पत्र को जनहित याचिका माना जाए या नहीं यह न्यायालय पर निर्भर करता है। यदि पत्र एक व्यापक रूप से किसी क्षेत्र के नागरिकों के हितों से सम्बंधित होता है तो उस पत्र को जनहित याचिका न्यायालय के द्वारा मान लिया जाता है। पत्र में याचिकर्ता के द्वारा स्पष्ट रूप से यह बताया जाना चाहिए कि किस प्रकार मामला जनहित से जुड़ा हुआ है। पत्र के जनहित याचिका के रूप में माने जाने पर न्यायालय के द्वारा दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया जाता है। जनहित याचिका हमेशा सरकार के खिलाफ दायर की जाती है।  यदि साधारण शब्दों में कहा जाये तो जनहित याचिका में सरकार ऑपोसिट पार्टी होती है। यदि सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता के पास वकील नहीं होता है तो न्यायालय के द्वारा याचिकाकर्ता को वकील की सुविधा भी मुफ्त दी जाती है। 

किस न्यायालय में दायर की जा सकती है जनहित याचिका :

          मामला जिस क्षेत्र के नागरिकों के हितों से व्यापक रूप रुप से सम्बंधित होता है तो जनहित याचिका उस क्षेत्र के उच्च न्यायालय में दायर की जाती है या फिर सीधे सर्वोच्च न्यायालय में दयार की जा सकती है। यदि मामला दिल्ली के किसी क्षेत्र से सम्बंधित है तो  जनहित याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की जाएगी। और यदि मामला पंजाब या फिर हरियाणा के किसी क्षेत्र से सम्बंधित है तो जनहित याचिका पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर की जाएगी। 


मामला झूठा पाए जाने पर हो सकता है जुर्माना :

            यदि जनहित याचिका से सम्बंधित मामला व्यापक रूप से जनहित से सम्बंधित नहीं है और यदि जनहित याचिका से जुड़ा हुआ मामला झूठा पाया जाता है तो न्यायालय के द्वारा याचिकाकर्ता को जुर्माने की सजा दी जा सकती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यदि जनहित याचिका से सम्बंधित मामला झूठा पाया जाता है या फिर किन्ही कारणों से साबित नहीं हो पाता है तो जनहित याचिका को जुर्माने के साथ ख़ारिज कर दिया जाता है। 


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