What is bailable or non-bailable offence and warrant. जमानती और गैरजमानती अपराध क्या है?
नेमपाल सिंह के द्वारा
जमानत और जमानत का अधिकार
जमानत (Bail) के विषय में बहुत सी भ्रांतियां लोगों के मन में होती हैं I कई बार यह सोचा जाता है कि अपराध करने के बाद जमानत (Bail) मिलना सिर्फ एक प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया के पूरा करने से अपराधी को बिना किसी बाधा के जमानत मिल सकती है जो कि एक गलत धारणा है I जमानत (Bail) के विषय में यह भी सोचा जाना गलत धारणा है कि सिर्फ एक काबिल वकील की पैरवी के द्वारा जमानत (Bail) मिलना निश्चित है I हालां कि एक काबिल वकील का होना और एक सधे हुए तरीके से केस की पैरवी का होना भी अत्यंत आवश्यक होता हैं I इसके विपरीत सच्चाई यह है कि गैरजमानती मामलों(Non-bailable offences) में जमानत (Bail) किसी भी अपराधी का पुख्ता तौर पर एक अधिकार नहीं माना जा सकता है I क्योंकि जमानत हमेशा किसी मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित होती है और यह न्यायालय पर निर्भर करता है कि तथ्यों व् परिस्थितियों के आधार पर अपराधी को जमानत (Bail) मिलनी चाहिए या नहीं I
जमानती और गैरजमानती अपराध क्या है?
जमानती अपराध (Bailable offence) वो अपराध होते हैं जिसमें कानून के अंतर्गत अपराधी का जमानत पर रिहा होने का कानूनन रूप से अधिकार होता है I जमानती अपराध (Bailable offence) के सन्दर्भ में ये अपराधी का अधिकार होता है कि पुलिस के द्वारा ये बताया जाए कि उसे एक जिस अपराध के सन्दर्भ में गिरफ्तार किया गया है वो एक जमानती अपराध (Bailable offence) है और वह थाने में जमानत दे कर जमानत पर रिहा हो सकता है I वहीँ दूसरी तरफ यदि अपराध गैर जमानती है तो उस सम्बन्ध में जमानत का आदेश देने का अधिकार सिर्फ न्यायालय को ही होता है I यह जानना बहुत अधिक आवश्यक है कि गैर जमानती मामलों (Bailable offences) में जमानत किसी भी अपराधी का अधिकार नहीं होता है I गैर जमानती मामलों में यह सिर्फ न्यायालय पर निर्भर करता है कि क्या अपराधी को मामले के तथ्यों के आधार पर जमानत पर रिहा करना उचित है या नहीं I यह धयान रखना जरुरी है कि जब कभी किसी मामले में एक से अधिक अपराधी हों और एक अपराधी को यदि न्यायालय के द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया जाता है तो दूसरे अपराधी के लिए पहले अपराधी की जमानत का आदेश किसी रूप में भी जमानत के लिए अधिकार नहीं बन सकता है I दूसरे अपराधी की जमानत न्यायालय के द्वारा रद्द भी की जा सकती है I
गिरफ़्तारी वारंट क्या है?
वारंट का भी हमारी क़ानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक महत्व रखते हैं I वारंट भी कानूनन रूप से दो ही तरह के होते हैं I जमानती वारंट (Bailabale warrant) और गैरजमानती वारंट (Non-bailable warrant) I सामान्य परस्थिति में आम तौर पर न्यायालय के द्वारा पहले जमानती वारंट ही जारी किया जाता हैं I सामान्य परिस्थिति में जमानती वारंट (Bailabale warrant) के निष्पादित हो जाने पर भी यदि अपराधी की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं हो पाती हैं तो मजिस्ट्रेट के द्वारा गैरजमानती वारंट (Non-bailable warrant) जारी किया जाता हैं I गिरफ़्तारी वारंट (Arrest warrant) को पुलिस को सौंप दिया जाता है कि वो अपराधी को गिरफ्तार (Arrest) करके न्यायालय के सामने निर्धारित तारीख में पेश करे जिससे वारंट के रूप में आदेश की अनुपालना हो सके I वारंट का निष्पादन पुलिस के द्वारा किया जाना आवश्यक होता है I वारंट न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है ये एक लिखित आदेश होता है I जिसके माध्यम से पुलिस वारंट के आधार पर अपराधी को गिरफ्तार (Arrest) कर सकती है I वारंट दो प्रकार के होते हैं जमानती गिरफ़्तारी वारंट(Bailable arrest warrant) और गैर जमानती गिरफ़्तारी (Bailable wararant) वारंट I गिरफ़्तारी वारंट (Arrest warrant) को सिर्फ मजिस्ट्रेट के या कहा जाए तो उस न्यायालय के द्वारा ही रद्द किया जा सकता है जिसने उसे जारी किया होता है I
For more information watch our YouTube video: A warrant may be directed to any person. (Hindi)
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