Section 295 IPC in Hindi. Indian law & religion in Hindi.धर्म और भारतीय कानून धारा 295 भारतीय दंड संहिता

नेमपाल सिंह द्वारा 



धर्म और भारतीय कानून धारा 295 (Section 295 of IPC) भारतीय दंड संहिता 
    वैसे तो हमारे देश में धर्म और धार्मिक भावनाओ का बहुत ज्यादा महत्व है। कहा जाए तो भारत एक ऐसा देश है जहाँ धर्म का बहुत अधिक प्रभाव है। हर व्यक्ति कहीं ना कहीं धर्म से इस देश में इस कदर जुड़ा हुआ है कि बहुत कुछ ऐसा भी हो जाता है जो कानून के अंतर्गत एक अपराध माना जाता है। तो इस पोस्ट के माध्यम से आज हम जानेंगे कि भारत का कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 295 के अंतर्गत इस सन्दर्भ में क्या कहता है। इसके लिए इस धारा के अंतर्गत दी गयी परिभाषा को जानना बहुत अधिक आवश्यक है। तो आईये इस पोस्ट के माध्यम से धारा 295 भारतीय दंड संहिता की परिभाषा को देखते हैं। 

धारा 295 (Section 295 of IPC) भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत परिभाषा :

In English:
हिन्दी में परिभाषा 
धारा 295 (Section 295 of IPC) भारतीय दण्ड संहिता: जो कोई व्यक्ति किसी भी पूजा या उपासना के स्थल के स्थान को या व्यक्तियों के किसी एक विशेष वर्ग के द्वारा पवित्र मानी गयी किसी वस्तु को नष्ट या नुकसान पहुंचाएगा या अपवित्र इस मकसद से करेगा कि किसी वर्ग के धर्म का अपमान किया जाए या यह सम्भावना जानते हुए करेगा कि व्यक्तियों का कोई वर्ग ऐसे नाश, नुकसान या अपवित्र किए जाने को अपने धर्म के प्रति अपमान समझेगा तो उस व्यक्ति को इस धारा के अंतर्गत उसके खिलाफ दोष सिद्ध होने पर दो साल तक की सजा हो सकती है या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना हो सकता है या फिर सजा व् जुर्माना दोनों के द्वारा दण्डित किया जा सकता है। 

        इस धारा के अंतर्गत अपराध एक संज्ञेय अपराध माना गया है यानि कि इस धारा के अंतर्गत पुलिस को अपराधी को बिना वारंट के गिरफ्तार करने की कानूनन रूप से इजाजत है। इसके अलावा ये एक गैरजमानती अपराध माना गया है। संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध क्या हैं इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए।

इस धारा के अंतर्गत कुछ अन्य तथ्य 
           सामान्य रूप से देखा जाए तो इस धारा का प्रचलन इन दिनों में भारत के कई राज्यों में देखा गया है।  यहाँ पर यह भी बताना अत्यंत आवश्यक है कि यह धारा भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 15 के अंतर्गत आती है।  यहाँ यह बताना भी आवश्यक है कि इस धर्म के सम्बन्ध में कुल पांच धाराएं हैं। जिनमे 295, 295A, 296, 297, 298 शामिल हैं।  हमारे अन्य आगामी पोस्ट में आप इन सभी धाराओं के विषय में विस्तार से जान पाएंगे।

कानून के अंतर्गत कुछ और महत्वपूर्ण बातें 
        यदि भारतीय कानून की बात की जाए तो यह जानना जरुरी है कि भारतीय  कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति तथ्यों को नज़रअंदाज करता है तो वह कानूनन रूप से माना जा सकता है लेकिन यदि कानून को नज़र अंदाज किया जाए तो वह कानूनन रूप से मान्य नहीं है। अब यदि यह कहा जाए कि यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है और यह कहे कि उसे कानून के विषय में जानकारी नहीं थी तो वह बात कानूनन रूप से मान्य नहीं है। क्योंकि इस प्रकार की दलील किसी भी तरह से स्वीकार नहीं की जा सकती है। अब यहाँ पर सवाल यह उठता है कि क्या कानून के विषय में जानना आवश्यक है तो कहा जा सकता है कि कानून के विषय में हर एक व्यक्ति को जानकारी होनी आवश्यक है। क्योंकि यदि जानकारी नहीं होगी तो उस व्यक्ति के द्वारा कानून के उल्लंघन की भी सम्भावनाएँ ज्यादा होंगी। यह बात किसी भी तरह के कानून के सन्दर्भ में एक समान रूप से ही मानी जा सकती है। 



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