Food adulteration Section 272 & 273 IPC in Hindi. मिलावटी व् हानिकारक खाद्य पदार्थ और भारतीय कानून
नेमपाल सिंह के द्वारा
मिलावटी व् हानिकारक खाद्य पदार्थ और भारतीय कानून
आम तौर पर हम देखते हैं कि खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाती है और आज कल यह समस्या आम है और हम नहीं जान पाते कि किन -किन चीज़ों में मिलावट है और किन- किन चीज़ों में मिलावट नहीं है I लेकिन यदि हमें यह पता चले कि किसी के द्वारा खाने और पीने की चीज़ों में मिलावट की गयी है या फिर कुछ ऐसा किया गया है जिसके कारण खाने और पीने की सामग्री दूषित हो चुकि है या फिर बहुत हानिकारक हो चुकि है और यदि उस सामग्री को कोई व्यक्ति बेचता है या फिर बेचने की कोशिश करता है तो भारतीय कानून के अंतर्गत वह एक अपराध माना जायेगा I इसके लिए ये जानना जरुरी है कि भारतीय कानून इस सन्दर्भ में क्या कहता है I वह कौन सा कानून है जिसके अंतर्गत ऐसे व्यक्ति के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही की जा सकती है I
क्या कहता है भारतीय कानून
वैसे तो भारतीय कानून के अंतर्गत एक अलग से कानून पारित किया गया है जिसका नाम Prevention of Food Adulteration Act, 1954 है I इस कानून के अंतर्गत खाद्य सामग्री और उसमें मिलावट से सम्बंधित प्रावधान दिए गए हैं जो कि अपने आप में एक पूरा कानून है लेकिन इस पोस्ट के माध्यम से हम भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दिए गए कानून के बारे में जानेंगे I भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति खाने और पीने की वस्तुओं में मिलावट के साथ उन वस्तुओं को यदि बेचता या बेचने की कोशिश करता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 272 (Section 272 of IPC) व् 273 के अंतर्गत वह दोषी माना जायेगा I लेकिन इस कानून को समझने के लिए धारा 272 व् धारा 273 भारतीय दंड संहिता की परिभाषा को जानना बहुत जरुरी है I भारतीय दंड संहिता की धारा 272 के अंतर्गत परिभाषा :
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हिन्दी में परिभाषा
धारा 272 भारतीय दंड संहिता (Section 272 of IPC) : जो कोई व्यक्ति किसी खाने या पीने की वस्तु को इस मकसद से या आशय से कि वह खाने या पीने की वस्तु इस रूप में बेचे या यह सम्भावना जानते हुए कि वह खाने या पीने की वस्तु खाने या पीने के लिए बेचीं जाएगी, उसे इस प्रकार से अपमिश्रित या उसमें मिलावट करेगा कि ऐसी वस्तु खाने या पीने के रूप में अस्वास्थ्कर या कहा जा सकता है कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन जाए तो उस व्यक्ति को उसके खिलाफ इस धारा के अंतर्गत दोष सिद्ध होने पर छह महीने तक की सजा या आर्थिक दंड के रूप में 1000/-रुपए तक के जुर्माने के दवरा दण्डित किया जा सकता है या फिर सजा व् जुर्माने दोनों के द्वारा दण्डित किया जायेगा I
यह एक असंज्ञेय अपराध है और एक जमानती अपराध है I अर्थात इस धारा के अंतर्गत पुलिस बिना गिरफ़्तारी वारंट के अपराधी को अरेस्ट नहीं कर सकती है और यह एक जमानती अपराध है जिसमें अपराधी को आसानी से जमानत मिल सकती है I
इस धारा के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण बातें :
यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह कहा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी खाने या पीने की किसी वास्तु में इस मकसद से बनाता है या फिर रखता है और उसका मुख्य उद्देश्य उस खाने या पीने की वास्तु को बेचना है और यदि वो उन खाने या पीने की वस्तुओं में किसी प्रकार की मिलावट कर देता है और वह यह जानता है कि यह वस्तुएँ खाने और पीने के रूप में बेचीं जाएँगी या बेचीं जा सकती हैं और उस व्यक्ति को इस विषय में भी जानकारी है कि यह जो खाने या पीने की वस्तुएँ हैं और जो बेचीं जानी हैं मिलावट के कारण बहुत ही हानिकारक या जहरीली हो चुकि है या बन गयी है तो इस स्थिति में यदि व्यक्ति ऐसा अपराध करता है तो इस धारा के अंतर्गत वह व्यक्ति दोषी माना जायेगा I
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धारा 273 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कानून :
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धरा 273 भारतीय दंड संहिता (Section 273 of IPC) के अंतर्गत परिभाषा : जो कोई किसी ऐसी वस्तु को, जो कि मिलावट के कारण हानिकारक बना दी गई हो, या हानिकारक हो गई हो, या खाने पीने के लिए अनुपयुक्त दशा में हो, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह खाने या पीने के रूप में बहुत ही अधिक हानिकारक है, खाने या पीने के उन वस्तुओं को बेचेगा, या फिर बेचने की कोशिश करेगा या बेचने के लिए प्रदर्शित करेगा, तो इस धारा के अंतर्गत उस व्यक्ति के खिलाफ दोष सिद्ध होने पर उस व्यक्ति छह महीने की सजा के द्वारा दण्डित किया जाएगा, या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए के जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जाएगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
इस धारा के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण बातें :
इस धारा के अंतर्गत अगर सरल शब्दों में बात की जाये तो यह कहा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी खाने और पीने की वस्तुओं को इस नीयत से और ये जानते हुए और इस बात की जानकारी रखते हुए कि वह खाने या पीने की वस्तु को बेचा जा सकता है या फिर कहा जाए कि जिसे बेचा जाना है और उस खाने और पीने की वस्तु को मिलावट के द्वारा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक या जहरीला बना देता है या फिर वह खाने व् पीने की वस्तु हानिकारक बन जाती है और इसके अलावा यदि वह व्यक्ति उस खाने या पीने की वस्तु को बेचेगा या फिर बेचने की कोशिश करेगा या फॉर बेचने की नियत से प्रदर्शित करेगा तो इन परिस्थितियों में वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जायेगा I
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यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह कहा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी खाने या पीने की किसी वास्तु में इस मकसद से बनाता है या फिर रखता है और उसका मुख्य उद्देश्य उस खाने या पीने की वास्तु को बेचना है और यदि वो उन खाने या पीने की वस्तुओं में किसी प्रकार की मिलावट कर देता है और वह यह जानता है कि यह वस्तुएँ खाने और पीने के रूप में बेचीं जाएँगी या बेचीं जा सकती हैं और उस व्यक्ति को इस विषय में भी जानकारी है कि यह जो खाने या पीने की वस्तुएँ हैं और जो बेचीं जानी हैं मिलावट के कारण बहुत ही हानिकारक या जहरीली हो चुकि है या बन गयी है तो इस स्थिति में यदि व्यक्ति ऐसा अपराध करता है तो इस धारा के अंतर्गत वह व्यक्ति दोषी माना जायेगा I
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धारा 273 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कानून :
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हिन्दी में परिभाषा
धरा 273 भारतीय दंड संहिता (Section 273 of IPC) के अंतर्गत परिभाषा : जो कोई किसी ऐसी वस्तु को, जो कि मिलावट के कारण हानिकारक बना दी गई हो, या हानिकारक हो गई हो, या खाने पीने के लिए अनुपयुक्त दशा में हो, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह खाने या पीने के रूप में बहुत ही अधिक हानिकारक है, खाने या पीने के उन वस्तुओं को बेचेगा, या फिर बेचने की कोशिश करेगा या बेचने के लिए प्रदर्शित करेगा, तो इस धारा के अंतर्गत उस व्यक्ति के खिलाफ दोष सिद्ध होने पर उस व्यक्ति छह महीने की सजा के द्वारा दण्डित किया जाएगा, या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए के जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जाएगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
इस धारा के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण बातें :
इस धारा के अंतर्गत अगर सरल शब्दों में बात की जाये तो यह कहा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी खाने और पीने की वस्तुओं को इस नीयत से और ये जानते हुए और इस बात की जानकारी रखते हुए कि वह खाने या पीने की वस्तु को बेचा जा सकता है या फिर कहा जाए कि जिसे बेचा जाना है और उस खाने और पीने की वस्तु को मिलावट के द्वारा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक या जहरीला बना देता है या फिर वह खाने व् पीने की वस्तु हानिकारक बन जाती है और इसके अलावा यदि वह व्यक्ति उस खाने या पीने की वस्तु को बेचेगा या फिर बेचने की कोशिश करेगा या फॉर बेचने की नियत से प्रदर्शित करेगा तो इन परिस्थितियों में वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जायेगा I
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