Section 296 of IPC in Hindi. धारा 296 भारतीय दण्ड संहिता। धर्म और भारतीय कानून


नेमपाल सिंह के द्वारा 



Section 296 of Indian Penal Code

धर्म और भारतीय कानून, धारा 296 भारतीय दण्ड संहिता 


     जैसा कि पिछली पोस्ट में बताया गया था कि भारतीय दण्ड संहिता में अध्याय 15 के अंतर्गत कुल 5 धाराएं हैं जिनमें धर्म और धार्मिक भावनाओं के सन्दर्भ में होने वाले अपराधों के विषय में परिभाषित किया गया है और अपराध के लिए सजा का प्रावधान दिया गया है।  उसी क्षृंखला में आज इस पोस्ट के माध्यम से धारा 296 भारतीय दण्ड संहिता के विषय में बताया गया है।  अक्सर देखा जाता है कि लोग धार्मिक भावनाओं को धार्मिक कट्टरता के कारण आहात कर देते है जो कि भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 15 के अंतर्गत एक अपराध है। धारा 296 के अंतर्गत आने वाले अपराध के विषय में जानने के लिए इस धारा के अंतर्गत दी गयी परिभाषा को जानना आवश्यक है।
                   कानून के अंतर्गत इस बात को जानना बहुत अधिक आवश्यक है कि किसी भी किस्म के तथ्यों को नज़र अंदाज़ किया जा  सकता है लेकिन कानून को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अपराध करने के बाद यह नहीं कह सकता है कि उसे कानून की जानकारी नहीं थी क्योंकि इस प्रकार की दलील कानून के अंतर्गत मान्य नहीं है।  इसलिए कहा जा सकता है कि कानून का पालन करना बहुत अधिक आवश्यक है।  इसके लिए जरुरी यह भी हो जाता है कि कानून की जानकारी राखी जाए और इस बात का ज्ञान रखा जाए कि कानून के अनुसार क्या सही है और क्या गलत है।
            इस धारा को समझने के लिए कानून के अंतर्गत इस धारा में जो परिभाषा दी गयी है उसके बारे में जानना बहुत अधिक आवश्यक है। इस इमेज के माध्यम से आप इस धारा के अंतर्गत दी गयी परिभाषा को अंग्रेजी भाषा में पढ़ सकते हैं।


हिंदी में परिभाषा 

धारा 296 भारतीय दण्ड संहिता : जो कोई व्यक्ति धार्मिक पूजा या उपासना या धार्मिक संस्कारों में वैध रूप से यानि कि कानूनन रूप से लगे हुए किसी व्यक्तियों के समूह या जमाव मतलब कि किसी भीड़ में स्वेच्छा से विघ्न या बाधा डालेगा तो उस व्यक्ति के खिलाफ इस धारा के अंतर्गत दोष सिद्ध होने पर उस व्यक्ति को एक साल तक की सजा व् आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जाएगा, या फिर सजा व् जुर्माना दोनों के द्वारा दण्डित किया जाएगा। 

इस धारा के अंतर्गत आने वाला अपराध संज्ञेय अपराध होता है। इसके साथ ही साथ यह एक जमानती अपराध भी है। अर्थात इस धारा के अंतर्गत अपराधी को आसानी से जमानत मिल जाती है। जमानती और गैरजमानती  अपराध के सन्दर्भ में अधिक जानकारी के लिए (यहाँ क्लिक करें)

इस धारा को यदि सरल शब्दों में देखें तो यह कह सकते हैं कि कोई भी वह व्यक्ति जो यदि किसी प्रकार की पूजा, उपासना या धार्मिक संस्कारों में यदि वैध यानि कि कानूनन रूप से व्यक्तियों का कोई समूह या जमाव लगा हुआ है और उस प्रकार की पूजा, उपासना, अनुष्ठान या किसी किस्म या किसी भी धर्म के अंतर्गत कोई संस्कार किया जा रहा हो और उसमें वह व्यक्ति विघ्न डाले या फिर व्यवधान उत्पन्न करे या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उस  प्रकार के कार्य को बाधित करे तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जायेगा।

CLASSIFICATION OF OFFENCE

This section is cognizable and bailable, it means that the police have the power to arrest the accused person without a warrant and also it is a bailable offence. For more information about cognizable and non-cognizable offence (click here) 

For more Information watch our YouTube video: (click here, यहाँ क्लिक करें) 




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