Section 298 IPC in Hindi. धारा 298 भारतीय दण्ड संहिता


नेमपाल सिंह के द्वारा 




धर्म और भारतीय कानून, धारा 298 भारतीय दण्ड संहिता 


       जैसा कि पिछली पोस्ट में बताया गया था कि धर्म के सन्दर्भ में भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत अध्याय 15 में कुल 6 धाराएं हैं जिसके अंतर्गत धर्म से सम्बंधित यदि कोई अपराध होता है तो इन्ही 6 धाराओं के अंतर्गत अपराधी के खिलाफ कार्यवाही की जाती है। उसी श्रृंखला के अंतर्गत यह अध्याय 15 भारतीय दण्ड संहिता में आखरी धारा है।  जैसा कि कानून के अंतर्गत और मुख्य रूप से भारतीय संविधान के अंतर्गत भारत के हर एक नागरिक को अपनी आज़ाद मर्जी से किसी भी धर्म को मानने व् प्रचार व् प्रसार करने का अधिकार प्राप्त है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भारत देश एक धर्म निरपेक्ष देश होने की वजह से भारत में हर एक धर्म की अपनी मान्यता है। कहा जा सकता है कि हर एक धर्म का भारत देश में समान दर्जा है। कोई भी धर्म किसी दूसरे धर्म से छोटा या बड़ा नहीं है। लेकिन कई बार कानून की अनभिज्ञता के कारण और कुछ व्यक्तियों के कट्टरवाद की वजह से एक धर्म विशेष के लोगों के द्वारा या किसी एक व्यक्ति विशेष के द्वारा दूसरे धर्म के खिलाफ या उस धर्म को नीचा दिखाने के लिए या कहा जा सकता है कि किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओ को ठेस पहुँचाने के लिए वह व्यक्ति कुछ ऐसा कार्य कर बैठता है जो कानून के अंतर्गत एक अपराध माना जाता है। पिछली पोस्ट्स में भी इस बात को बताया गया था और इस पोस्ट के माध्यम से भी यह बताना जरुरी है कि कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य को करते हुए तथ्यों को नज़रअंदाज़ करता है तो वो कहीं ना कहीं माना जा सकता है लेकिन यदि वह व्यक्ति उस कार्य को करते हुए कानून को नज़रअंदाज़ करे और यदि वह कार्य कानूनन अपराध माना जाता हो तो बाद में वह व्यक्ति अपनी सफाई देते हुए या अपने पक्ष में यह नहीं बोल सकता कि वह कानून के बारे में नहीं जानता था और उससे अनभिज्ञता से वह अपराध हो गया। कानून के अनुसार इस धारा को किस प्रकार से परिभाषित किया गया है यह जानना बहुत अधिक आवश्यक है। 

क्या कहता है भारतीय कानून 

      भारतीय दण्ड संहिता की धारा 298 के अंतर्गत परिभाषा को समझना बहुत अधिक आवश्यक है।  इस धारा के अनुसार दी गयी इसकी अंग्रेजी भाषा में परिभाषा को आप इस इमेज के मध्यम से पढ़ सकते हैं। 
This section is non-cognizable and bailable. It means under this section the police have no power to arrest the accused person without a warrant. This section is also a bailable section means under this section the accused person can take bail very easily.

हिन्दी में परिभाषा 

धारा 298 भारतीय दण्ड संहिता : इस धारा के अंतर्गत जो कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से या विचार से उसके सुनने में कोई शब्द उच्चारण करेगा या कोई ध्वनि करेगा या उसके देखने में या दृष्टि के सामने कोई संकेत करेगा या कोई वस्तु रखेगा तो उस व्यक्ति या अपराधी को उसके खिलाफ इस धारा के अंतर्गत कोर्ट में दोष सिद्ध होने पर एक साल तक की सजा हो सकती है या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जा सकता है या फिर सजा व् जुर्माना दोनों के द्वारा दण्डित किया जायेगा। 

इस धारा के अंतर्गत जो अपराध है वह एक असंज्ञेय अपराध माना गया है। और इसके साथ- साथ इस धारा के अंतर्गत यह एक जमानती अपराध है। संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध के सन्दर्भ में अधिक जानकारी के लिए (click here, यहाँ क्लिक करें) अर्थात कहा जा सकता है कि इस धारा के अंतर्गत अपराधी को पुलिस द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और इस धारा के अंतर्गत अपराधी को आसानी से जमानत मिल सकती है क्योंकि यह एक जमानती अपराध है। 

कानून के अंतर्गत मान्यता 

      यदि कानून के अंतर्गत इस धारा के विषय में सरल शब्दों में देखा जाए तो यह परिभाषा के माध्यम से स्पष्ट हो जाता है कि यदि कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म से सम्बन्ध रखता हो यदि जान बूझ कर और एक विशेष उदेश्य के साथ या ऐसा विचार रखते हुए किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए किसी प्रकार का उस दूसरे व्यक्ति को सुनाने के मकसद से शब्द बोलता है या किसी प्रकार की मुँह से या किसी और प्रकार से ध्वनि करता है या कोई ऐसा व्यंगात्मक या फिर आपत्तिजनक संकेत करता है या फिर कोई ऐसी वास्तु उस दूसरे व्यक्ति की दृष्टि के सामने रखता है जिससे उस दूसरे व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए तो वह व्यक्ति जो इस प्रकार की गतिविधि करता है वह इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जाएगा। 


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