Section 186 IPC Obstructing public servant. धारा 186 भारतीय दंड संहिता


नेमपाल सिंह के द्वारा 



धारा 186 भारतीय दंड संहिता परिचय:

            इस धारा के अंतर्गत जब कभी भी कोई व्यक्ति किसी भी सरकारी कर्मचारी (Public servant) के किसी भी काम में दखल देता है तो उस परस्थिति में उस व्यक्ति के खिलाफ इस धारा के अंतर्गत पुलिस द्वारा कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है I कई बार देखा जाता है कि लोग अनभिग्यता में अर्थात कानून की जानकारी के आभाव में किसी भी सरकारी कर्मचारी (Public servant) के सरकारी कामों में बढ़ा पहुंचते हैं जो कि धारा 186 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एक अपराध माना जाता है I अब यहाँ यह सवाल उठता है कि वो कौन सी परस्थिति हो सकती है जब इस धारा के अंतर्गत दोषी के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही की जा सकती है I इसके लिए यह जानना जरुरी है कि धारा 186 को कानून में किस प्रकार से परिभाषित किया गया है I धारा 186 भारतीय दंड संहिता के अनुसार :



हिंदी में परिभाषा:

(जो भी कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के सार्वजनिक कार्यों के करने या निर्वहन में स्वेच्छा पूर्वक बाधा डालेगा, तो उस व्यक्ति को यदि कोर्ट में उसके खिलाफ इस धरा के अंतर्गत दोष साबित हो जाता है तो उस व्यक्ति को तीन महीने तक की सजा हो सकती है, या आर्थिक दंड के रूप में पांच सौ रुपए तक का जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जा सकता है, या सजा व् जुर्माना दोनों के द्वारा दण्डित किया जाएगा।)

किन परिस्थितियों में लग सकती है धारा:

            यदि परिस्थिति की बात की जाए तो इस धारा की व्याख्या से पता चलता है कि वो कोई भी व्यक्ति जो ये जानकारी रखता है और जिसे इस बात का ज्ञान है कि वो जिस व्यक्ति के कार्य में बाधा डाल रहा है वो एक सरकारी कर्मचारी (Public servant) है तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जाएगा जो सरकारी काम में बाधा पहुंचता है I सरकारी कर्मचारी (Public servant) होना ही सिर्फ इस धारा को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं है बल्कि ये कानूनन रूप से जरुरी है कि सरकारी कर्मचारी एक सरकारी कर्मचारी (Public servant) होने के साथ साथ अपने अधिकार क्षेत्र में सरकारी कार्य कर रहा हो या किसी सरकारी कार्य का निर्वहन करने आया हो सरकारी कर्मचारी (Public servant) की बात की जाए तो वो सरकारी कर्मचारी (Public servant) एक राज्य सरकार के अधीन कर्मचारी हो सकता है या फिर केंद्र सरकार के अधीन कर्मचारी भी हो सकता है I सरकारी कार्य वो ही माना जा सकता है जो उसके क्षेत्राधिकार में आता हो या फिर उस सरकारी कर्मचारी (Public servant) को किसी विशेष कार्य के लिए किसी सरकारी विभाग ने या फिर कोर्ट ने निर्देशित किया हो I उदाहरण के तौर पर यदि किसी सरकारी कर्मचारी को चाहे वो किसी भी विभाग का कर्मचारी (Public servant) क्यों ना हो उसे किसी भी सरकार अर्थात राज्य सरकार या फिर केंद्र सरकार के दवरा  चुनाव में किसी कार्य के निर्वहन के लिए लिखित रूप में निर्देशित किया गया हो और यदि उस कार्य के निर्वहन के दौरान कोई भी व्यक्ति उस सरकारी कर्मचारी (Public servant) को उस कार्य को करने से रोकेगा या फिर बाधित करेगा तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जाएगा I यहाँ यह भी बताना आवश्यक है कि इस धारा के अंतर्गत अपराध एक असंज्ञेय अपराध माना गया है I संज्ञेय औरअसंज्ञेय अपराधों के विषय में अधिक जानकारी के लिए यह पोस्ट पढ़ें ( पोस्ट पढ़ने केलिए यहाँ क्लिक करें ) तथा इस प्रकार का अपराध एक जमानती अपराध भी है I जमानती अपराध वो अपराध होते हैं जिसमें अपराधी को आसानी से जमानत मिल जाती है I

                       यदि कोई सरकारी कर्मचारी (Public servant) कोई ऐसा कार्य कर रहा है जो उसका व्यक्तिगत कार्य है और जिसमें सरकार का कोई भी ताल्लुक नहीं है और अगर कोई व्यक्ति उस परिस्थिति में उस सरकारी कर्मचारी के कार्य में बाधा पहुंचता है तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी नहीं माना जा सकता है I

For more information watch our YouTube video: Obstructing public servant in discharge of public functions. (Hindi)



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