Supreme Court Decision on Section 498 A of IPC in Hindi. सुप्रीम कोर्ट का धारा 498 A पर निर्णय (हिंदी).
नेमपाल सिंह के द्वारा
Supreme Court Decision on Section 498 A of IPC.
सुप्रीम कोर्ट का धारा 498 A पर निर्णय
धारा 498 A के सन्दर्भ में यदि कहा जाए तो यह भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एक ऐसी धारा है जिसके बारे में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह की धारणाएं व्यापत हैं। धारा 498 A के विषय में यदि कहा जाए तो यह धारा दहेज़ मांग और उत्पीड़न के सन्दर्भ में जानी जाती है। हाल ही में यानि कि सितम्बर माह में माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court ) ने एक एहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम् खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने जुलाई 2017 के एक पुराने फैसले को बदलते हुए धारा 498 A में अपराधी की सीधे गिरफ़्तारी के लिए पुलिस को अधिकार दे दिया। ज्ञात रहे कि जुलाई 2017 में दो जजों की बैंच के द्वारा धारा 498 A के अंतर्गत कहा गया था कि धारा 498 A का बहुत अधिक दुरूपयोग किया जाता है और इस बात के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बैंच के द्वारा फैसला सुनाया गया था जिसके अंतर्गत पुलिस के द्वारा धारा 498 A के अंतर्गत शिकायतों में पुलिस के द्वारा अपराधी को सीधे गिरफ्तार करने का अधिकार पर रोक लगा दी गयी थी।
क्या था जुलाई 2017 का फैसला
27 जुलाई 2017 में सुनाए गए फैसले के अंतर्गत दो जजों की बैंच जिसमें जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू यू ललित ने कहा था कि धारा 498 A का बहुत अधिक दुरूपयोग किया जाता है और इस बात के मद्देनज़र दो जजों की बैंच ने केंद्र व् राज्य सरकारों को ये आदेश दिया था कि दहेज़ प्रताड़ना के मामलों में अपराधी की सीधे गिरफ़्तारी नहीं की जाएगी बल्कि आदेश में कहा गया कि हर एक जिले में परिवार कल्याण समिति का गठन किया जाए जो पीड़िता की शिकायत की जाँच करे और परिवार कल्याण समिति मामले जाँच के बाद एक रिपोर्ट तैयार करे। रिपोर्ट के बाद यदि यह पाया जाता है कि आरोपी का गिरफ्तार किया जाना अत्यंत आवश्यक है तो पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। साथ में यह भी कहा गया कि समिति की रिपोर्ट आने से पहले किसी भी आरोपी की गिरफ़्तारी नहीं की जा सकती।
नए फैसले में क्या बदलाव किया गया
नए फैसले के अनुसार जारी किए गए दिशा निर्देशों में तीन जजों की बैंच के द्वारा कहा गया कि दहेज़ प्रतड़ना के मामले में पीड़िता को तुरंत राहत दिया जाना आवश्यक है इसके लिए किसी भी समिति की रिपोर्ट की कोई आवश्यकता नहीं है। आदेश में परिवार कल्याण समिति को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निरस्त कर दिया गया और जुलाई 2017 के फैसले को बदलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दहेज़ प्रताड़ना के मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इसके लिए किसी भी प्रकार की परिवार कल्याण समिति की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 498 A के कानूनी दायरे को कम करने से कहीं न कहीं पीड़िता के अधिकारों का हनन होगा। आदेश में यह भी कहा गया कि धारा 498 A के अंतर्गत पीड़िता को तुरंत सुरक्षा देना बहुत अधिक आवश्यक है और इसके लिए आरोपी की तुरंत गिरफ़्तारी होनी जरुरी है। फैसले में आगे कहा गया कि इस धारा के अंतर्गत आरोपी चाहे तो अग्रिम जमानत ले सकता है।
पुलिस द्वारा सीधे की जाएगी कार्यवाही
धारा 498 A के अंतर्गत अब दहेज़ प्रताड़ना के मामलों में सीधे पुलिस को शिकायत की जा सकती है और अब यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि पीड़िता को किस प्रकार सुरक्षित किया जा सकता है इसके लिए यदि पुलिस को लगता है कि आरोपी की गिरफ़्तारी बहुत जरुरी है तो पुलिस आरोपी को सीधे गिरफ्तार कर सकती है। इसके लिए किसी भी प्रकार की परिवार कल्याण समिति की रिपोर्ट की अब आवश्यकता नहीं है। यदि पुलिस चाहे तो आरोपी को सीधे गिरफ्तार कर सकती है।
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