Supreme Court Verdict on Aadhar Card in Hindi 2018. सुप्रीम कोर्ट का आधार कार्ड पर एहम फैसला


नेमपाल सिंह के द्वारा 

Supreme Court Verdict on Aadhar Card. सुप्रीम कोर्ट का आधार कार्ड पर एहम फैसला 



          पिछले काफी दिनों से इस बात पर बहस चल रही थी कि आधार कार्ड की संवैधानिक मान्यता है या नहीं। इस बात के विषय में भी असमंजस था कि आधार कार्ड ब्यौरा कहाँ देना अनिवार्य है और कहाँ देना अनिवार्य नहीं है। इस सन्दर्भ में एक याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) में लंबित थी जिसमें कि हाल ही के दिनों में यानि कि सितम्बर माह में माननीय सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) द्वारा एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है। कुल पांच जजों की संवैधानिक पीठ द्वारा जिनमें माननीय मुख्य न्यायधीश श्री दीपक मिश्रा जी व् अन्य चार जजों के द्वारा आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता पर फैसला लिया गया। सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) के इस फैसले के बाद यह जानना जरुरी है कि इस फैसले के अंतर्गत आधार कार्ड के विषय में किस प्रकार की परिसीमाएं निर्धारित की गयी हैं। यहाँ यह बताना अत्यंत आवश्यक है कि सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) के द्वारा आधार कार्ड को संवैधानिक रूप से वैध माना गया है। यानि कि आधार कार्ड संवैधानिक रूप से एक वैध कार्ड है। लेकिन इस कार्ड का ब्यौरा कहाँ दिया जाना है और कहाँ देना अनिवार्य नहीं है इस बात को जानना अत्यंत आवश्यक है। 

आधार कार्ड का ब्यौरा कहाँ देना अनिवार्य है 

         सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) के फैसले के अंतर्गत आधार कार्ड को संवैधानिक रूप में वैध तो माना गया है लेकिन इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कुछ परिसीमाएं निर्धारित की गयी है। मसलन आधार कार्ड का ब्यौरा हर जगह देना अब अनिवार्य नहीं है। कोर्ट के फैसले के अनुसार आधार कार्ड को किसी भी सरकारी लाभकारी योजनाओ का लाभ उठाने के लिए देना होगा। इसके अलावा पैन कार्ड को भी आधार कार्ड से लिंक करना अनिवार्य है। किसी भी सुरक्षा एजेंसी के द्वारा सुरक्षा सम्बन्धी परस्थितियों में भी आधार कार्ड का ब्यौरा माँगा जा सकता है और उस परिस्थिति में आधार कार्ड का ब्यौरा सुरक्षा एजेंसीज को देना अनिवार्य होगा।  कहा जा सकता है कि यदि पुलिस, अर्धसैनिक बल, या भारतीय सेना के किसी भी अधिकारी के ड्यूटी के दौरान मांगे जाने पर आधार कार्ड का ब्यौरा देना होगा। सरकारी लाभकारी योजनाएं चाहे वह सज्य सरकार के द्वारा दी जानी हों या फिर केंद्र सरकार के द्वारा दी जानी हों तब भी आधार कार्ड को माँगा जा सकता है। इसके अलावा पैन कार्ड को भी आधार कार्ड से लिंक करना अनिवार्य है। सरल शब्दों में कहा जाए तो सुप्रीम कोर्ट के द्वारा यह माना गया कि टैक्स के मामलों में, सुरक्षा के मामलों में और योजनाओ का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है।  

आधार कार्ड का ब्यौरा कहाँ देना अनिवार्य नहीं है 

           सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) के सुनाए गए फैसले के अनुसार आधार कार्ड को जहाँ भी माँगा जाए वहां देना अनिवार्य नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फिसले में कहा कि बैंकों में खाता खुलवाने के लिए अब आधार कार्ड की आवश्यकता नहीं है यानि कि बैंकों में खाता खुलवाने व् खाते के साथ आधार कार्ड को लिंक करवाने की अनिवार्यता को सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) के द्वारा ख़ारिज कर दिया गया है। अब बैंक चाहे वो सरकारी बैंक हो या फिर गैर सरकारी बैंक हो आधार कार्ड को खाते के साथ लिंक कराना जरुरी नहीं है। इसके अलावा टेलिकॉम कम्पनीज को भी आधार कार्ड का ब्यौरा देना आवश्यक नहीं है। किसी भी प्रकार के टेलिकॉम कनेक्शन को लेने के लिए आधार कार्ड का ब्यौरा देना आवश्यक नहीं है। कोई भी टेलिकॉम कंपनी इस आदेश के बाद किसी से भी आधार कार्ड का ब्यौरा नहीं मांग सकती है। साथ ही साथ किसी भी प्रकार के कार्य के सन्दर्भ में कोई भी गैरसरकारी कंपनी आधार कार्ड का ब्यौरा नहीं मांग सकती है। इसके अलावा किसी भी प्रकार की परीक्षा में भी आधार कार्ड देना अनिवार्य नहीं है। स्कूल और कॉलेजों में भी प्रवेश के दौरान आधार कार्ड देना अनिवार्य नहीं है। यानि कि स्कूल में एडमिशन में या फिर कॉलेज में एडमिशन में या फिर किसी भी अन्य उद्देश्य से आधार कार्ड स्कूल व् कॉलेज के प्रबंधन द्वारा नहीं माँगा जा सकता।  

क्या होगी अगली तैयारी 

                  सर्विच्च न्यायालय (supreme court) के हाल ही सुनाए गए एक फैसले के अंतर्गत निजता के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 में सम्मिलित किया गया था। जिसके बाद से आधार कार्ड को निजता के अधिकार के परिपेक्ष्य में देखा जाने लगा था और यह सवाल उठ रहा था कि कहीं यह निजता के अधिकार का हनन तो नहीं। निजता के अधिकार के हनन के डर से अब सरकार के द्वारा ऑफलाइन वारीफिकेशन टूल का सहारा लिया जाएगा। 

>>> UIDAI के द्वारा टेलीकॉम कम्पनीज को यह  निर्देश दिए गए है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का त्वरित रूप में  पालन किया जाए। किसी भी प्रकार की कोताही या निर्देशों की अवहेलना करने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। आधार कार्ड के माध्यम से की जाने वाली बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन प्रणाली को त्वरित रूप से 15 अक्टूबर 2018 तक UIDAI के पास जमा कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं। 

>>> सरकारी पेंशन, स्कूल व् कॉलेजों में प्रवेश व् निट व् यू जी सी जैसी परीक्षाओं में आधार कार्ड को इस्तेमाल किये जाने पर रूक लगा दी गयी है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की प्रणाली नागरिकों के निजता के अधिकारों का हनन करती है। 2005 में किये गए सभी संशोधनों को सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) ने आदेश के द्वारा रद्द कर दिया है। 

               इसके अलावा बहुत से ऐसे बदलाव किए जाएंगे जिस बारे में प्रत्येक नागरिक को सरकार के आदेशों के व् नोटिस के माध्यम से पता चल जाएगा।  कहा जाए तो अब आधार कार्ड के सन्दर्भ में नागरिकों के निजता के अधिकार के हनन नहीं किया जा सकता है। इस बारे में देश के एक बड़े तबके ने राहत की साँस ली है। 


For more information watch our YouTube video (click here, यहाँ क्लिक करें)



   

No comments:

Most Popular Post

Love Marriage and protection In Hindi.प्रेम विवाह व् भारतीय कानून

Love Marriage, protection and Indian Law नेमपाल सिंह के द्वारा

Powered by Blogger.