Section 297 of IPC in Hindi. धारा 297 भारतीय दण्ड संहिता
नेमपाल सिंह के द्वारा
धर्म और भारतीय कानून, धारा 297 भारतीय दण्ड संहिता
भारत में ध्रर्म और आस्था एक ऐसा पहलू है जो बहुत अधिक संजीदगी के साथ देखा जाता है। भारतीय संविधान में हर एक नागरिक को अपनी आज़ाद मर्जी से किसी भी धर्म को मानने और प्रचार और प्रसार करने का अधिकार प्राप्त है। क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और भारत में बहुत से धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। लेकिन कई बार हम देखते हैं कि धार्मिक कट्टरता के कारण कई लोग धर्म के चलते अपराध करते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। कहा जा सकता है कि इसके पीछे कानून का ज्ञान ना होना एक कारण हो सकता है। अब जैसा कि पिछली पोस्ट के माध्यम से बताया गया था कि धर्म के सन्दर्भ में कुल 5 धाराएँ हैं जो कि भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत अध्याय 15 में दी गयी हैं। उसी श्रृंखला में धारा 297 भारतीय दण्ड संहिता को जानना भी बहुत अधिक आवश्यक है। धारा 297 की परिभाषा के अनुसार :
This section is cognizable and bailable means under this section the police have power to arrest the accused person without warrant and the accused person can take bail very easily.
हिंदी में परिभाषा
धारा 297 भारतीय दण्ड संहिता : इस धारा के अंतर्गत जो कोई व्यक्ति किसी प्रार्थना या उपासना स्थान में, या किसी कब्रिस्तान पर या अंत्येष्टि के लिए या मृतकों के अवशेषों के लिए निर्धारित स्थान के रूप में अलग से रखे या निर्धारित किए गए किसी स्थान में अतिचार या किसी मानव शव की अवहेलना या अंत्येष्टि या संस्कारों के लिए एकत्रित हुए व्यक्तियों में विघ्न या व्यवधान डालेगा कि किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाए या किसी व्यक्ति के धर्म का अपमान करे, या यह सम्भावना जानते हुए कि उसके उस कार्य के द्वारा किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी या किसी व्यक्ति के धर्म का अपमान होगा तो उस व्यक्ति जो इस प्रकार का अपराध करता है इस धारा के अंतर्गत उस व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट में दोष सिद्ध होने पर एक साल तक की सजा हो सकती है या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जायेगा या फिर सजा व् जुर्माना दोनों के द्वारा दण्डित किया जायेगा।
इस धारा के अंतर्गत अपराध एक संज्ञेय अपराध है। संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों के सन्दर्भ में अधिक जानकारी के लिए (cleick here,यहाँ क्लिक करें) इसके साथ ही साथ यह एक जमानती अपराध है। अर्थात इस धारा के अंतर्गत अपराधी को आसानी से जमानत मिल सकती है।
इस धारा के अंतर्गत कुछ अन्य पहलू
इस धारा के अंतर्गत दी गयी परिभाषा के अनुसार यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि कोई व्यक्ति जान भूझ कर उपासना या आराधना या फिर पूजा के स्थान में व्यवधान डालता है या अतिचार जैसा कृत्य करता है या किसी कब्रिस्तान में या अंत्येष्टि के लिए या फिर मृतकों के अवशेषों के लिए यदि कोई स्थान निर्धारित है और वह व्यक्ति वहां व्यवधान डालता है या फिर वह व्यक्ति किसी प्रकार से किसी मानव शव की अवहेलना करता है और यदि वह व्यक्ति संस्कारों के लिए एकत्रित हुए व्यक्तियों के किसी समूह को परेशान करता है या फिर विघ्न या कहा जाए कि व्यवधान डालता है और वह यह सब इसलिए करता है कि किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाए या फिर किसी के धर्म का अपमान करे और इसके अलावा इस धारा के अंतर्गत यदि उपर लिखित कार्यो के द्वारा इस बात की सम्भावना हो कि किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचेगी तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जायेगा।
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Bahut acchi jaankari h....
ReplyDeleteThanks dear, keep in touch
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