Section 216 A of IPC in Hindi. लूट व् डकैती के आरोपी को पनाह


नेमपाल सिंह के द्वारा 




लूट व् डकैती के आरोपी को पनाह देने पर होगी सात साल तक की सजा 

         हाल ही के दिनों में ये देखा गया है कि काफी लोग ऐसे होते हैं जो अपने किसी भी चाहने वाले या रिश्तेदार या हो सकता है की वो व्यक्ति किसी भी किस्म की मित्रता की वजह से या फिर किन्ही अन्य कारणों से किसी ऐसे व्यक्ति की मदद या सहायता कर देते हैं जो कि एक अपराधी होता है या किसी किस्म का अपराध करने के बाद वो अपने आपको बचाने के लिए अपने मित्र या रिश्तेदार की मदद लेता है। अब यहाँ यह जानना बहुत अधिक आवश्यक है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी किस्म का संज्ञेय अपराध किया और वह बचने के लिए अपने किसी जानने वाले के पास या किसी रिस्तेदार के पास या फिर किसी मित्र के पास गया और उसने अपने द्वारा किये गए अपराध के बारे में उस अपने जानने वाले या रिश्तेदार या फिर मित्र को अपने द्वारा किये गए अपराध के बारे में बताया और यदि वह दूसरा व्यक्ति उस अपराधी की मदद करने के लिए उस अपराधी को छिपाता है या कानून से बचने के लिए उसके मदद करता है तो वह व्यक्ति जो मदद करेगा या अपराधी को छिपाएगा तो वह व्यक्ति कानूनन रूप से दोषी माना जाएगा।  
          लेकिन यहाँ पर हम धारा 216 A IPC  भारतीय दंड संहिता के विषय में जानेंगे। इस धारा के विषय में जानने के लिए इस धारा के अंतर्गत दी गयी परिभाषा को जानना बहुत अधिक आवश्यक है। 

क्या कहता है भारतीय कानून 
धारा 216 A IPC भारतीय दंड संहिता : जो कोई व्यक्ति यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई व्यक्ति लूट या डकैती हाल ही में करने वाले हैं या हाल ही में लूट या डकैती कर चुके हैं, उन सभी को या उनमें से किसी को, ऐसी लूट या डकैती का किया जाना आसान बनाने के, या उनको या उनमें से किसी को दंड से बचाने के आशय से शरण देगा या छिपाएगा, तो उस व्यक्ति को उसके खिलाफ इस धारा के अंतर्गत दोष सिद्ध होने पर सात वर्ष तक की सजा के द्वारा दण्डित किया जाएगा और साथ में जुर्माने के द्वारा भी दण्डित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण--इस धारा के प्रयोजनों के लिए यह तत्वहीन है कि लूट या डकैती 3[भारत] में की जानी निर्धारित है या की जा चुकी है, या 3[भारत] से बाहर की गयी है या फिर की जानी है।
अपवाद--इस धारा के अंतर्गत इस धारा का विस्तार ऐसे मामले पर नहीं है, जिसमें शरण देना, या छिपाना अपराधी के पति या पत्नी द्वारा हो ।]

भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत यह धारा एक संज्ञेय अपराध है और एक जमानती अपराध है। संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध के विषय में अधिक जानकारी के लिए (click here, यहाँ क्लिक करें) 


इस धारा के अंतर्गत यह बिलकुल स्पष्ट है कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी अपराधियों के ऐसे समूह को या फिर उनमें से किसी एक भी आरोपी को जो लूट या डकैती को अंजाम देने वाले हैं या फिर लूट या डकैती जैसे अपराध को अंजाम दे चुके है भारत में या फिर भारत के अलावा किसी और देश में तो यदि वह व्यक्ति आरोपियों को या किसी भी एक आरोपी को छिपाता है या पनाह देता है जिससे वह सभी या कोई भी एक आरोपी कानून के अंतर्गत सजा से बच सके या उन व्यक्तियों या उनमें से किसी एक व्यक्ति को लूट या डकैती जैसे अपराध को करने के लिए सुविधा प्रदान करता है या किसी भी अन्य तरीके से मदद करता है तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा। 

अंग्रेजी में परिभाषा : 
      इस धारा 216 A IPC के अंतर्गत अंग्रेजी में परिभाषा को इस इमेज के माध्यम से पढ़ा जा सकता है :

अन्य महत्वपूर्ण बातें 

        कानून के अंतर्गत इस बात का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है कि कोई भी व्यक्ति अपराध करने के बाद अपने बचाव में यह नहीं कह सकता कि उसे कानून के विषय में जानकारी नहीं थी क्योंकि भारतीय कानून के अंतर्गत यदि तथ्यों को नज़रअंदाज़ किया जाए तो वह माना जा सकता है लेकिन कानून को नज़रअंदाज़ करना माना नहीं जा सकता। इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखना आवश्यक है कि कानून के विषय में सभी को अधिक से अधिक जानकारी हो। 


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