Section 312 of IPC in Hindi. गर्भपात और भारतीय कानून


नेमपाल सिंह के द्वारा 




Section 312 of IPC. गर्भपात और भारतीय कानून 

  अक्सर हम कई तरह की ख़बरों के माध्यम से गर्भपात के विषय में पढ़ते व् सुनते हैं और समाज में काफी लोगों को इस विषय में पता भी है कि यह एक अपराध है। लेकिन अपराध का बोध होने के बावजूद भी ऐसा होने के पीछे क्या कारण है इस बात को भारतीय समाज के परिपेक्ष्य में जानना बहुत अधिक आवश्यक है। कारण काफी हो सकते हैं। लेकिन जो मुख्या कारण माना जा सकता है वह यह है कि समाज में अभी भी कहीं ना कहीं लड़के के  पैदा करने की चाहत के कारण और अनपढ़ता के कारण इस प्रकार के अपराध में वृद्धि हुई है। काफी तरह के ऐसे चिकित्सक भी हैं जो इस तरह के अपराध में संलिप्त हैं। 
  भारतीय कानून में इस तरह के अपराध को रोकने व् कानून के अंतर्गत कानून संगत रूप से अपराधी को सजा देने का प्रावधान है। कहा जा सकता है कि भारतीय कानून में इस तरह के अपराध के लिए सख्त कानून बनाया गया है। भारतीय कानून भारतीय दंड संहिता में अध्याय 16 के अंतर्गत धारा 312 IPC को जानना बहुत अधिक आवश्यक है। 

क्या कहता है भारतीय कानून 

 भारतीय दंड संहिता की धारा 312 IPC के अंतर्गत गर्भपात के सन्दर्भ में होने वाले अपराध को परिभाषित किया है। इस धारा के अंतर्गत धारा 312 IPC की परिभाषा को आप इस इमेज के माध्यम से पढ़ सकते हैं। 
This section has two parts and both parts are non-cognizable and bailable. 

हिंदी में परिभाषा 

धारा 312 IPC भारतीय दंड संहिता : जो कोई व्यक्ति किसी गर्भवती स्त्री का स्वेच्छा पूर्वक गर्भपात कारित करेगा और यदि ऐसा गर्भपात उस स्त्री का जीवन बचाने के उद्देश्य से सदभावना पूर्वक ना किया गया हो , तो ऐसे व्यक्ति को उसके खिलाफ दोष सिद्ध होने पर तीन वर्ष तक की सजा के द्वारा दण्डित किया जा सकता है या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जा सकता है और यदि वह स्त्री स्पन्धन गर्भा हो तो उस व्यक्ति को 7 साल तक की सजा व् जुर्माने के द्वारा दण्डित किया जाएगा। 
  यहाँ स्पन्धन गर्भा का जो मतलब है वो यह है कि जब गर्भवती महिला को अपने गर्भ की हलचल का एहसार होता है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कह सकते हैं कि जब गर्भवती स्त्री को यह महसूस होता है उसके गर्भ में हलचल के द्वारा कि उसके गर्भ में गर्भवती होने के परिपेक्ष्य में किसी किस्म की हलचल है तो उस अवस्था को स्पन्धन गर्भा कहा जाता है।  और यह आम तौर पर गर्भावस्था के 4 से 5 महीने की अवस्था के दौरान होता है। 

स्पष्टीकरण : जो स्त्री स्वयं अपना गर्भपात करती है , वह इस धारा के अंतर्गत आती है। सरल शब्दों में कहा जाये तो कहा जा सकता है कि वह स्त्री जो खुद जानभूझ कर अपना गर्भपात करवाती है तो वह महिला इस धारा के अंतर्गत दोषी मानी जाएगी। 

    इस धारा के अंतर्गत दी  गई परिभाषा के द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी महिला का गर्भपात कारित करता है जो कि उस महिला की जीवन को बचने के लिए नहीं किया गया हो तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जाएगा इसके साथ ही साथ यदि महिला अपनी गर्भावस्था की ऐसी स्थिति में हो जिसमे कि उस महिला को अपने गर्भ में हो रही हलचल के कारण इस बात का ज्ञान हो कि वह गर्भवती है और यदि उसकी उस स्थिति में कोई व्यक्ति उस महिला का गर्भपात कारित करता है तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जायेगा। इस धारा के अंतर्गत यदि वह कोई भी स्त्री अपना गरपात स्वयं करती है तो वह महिला भी इस धारा के अंतर्गत दोषी मानी जाएगी। 

ज्ञात रहे कि इस धारा के अंतर्गत अपराध को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है और दोनों ही भागों में यह अपराध एक असंज्ञेय अपराध है एक जमानती अपराध है। संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों के विषय में अधिक जानकारी के लिए (click here, यहाँ क्लिक करें)


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